TIME FLIES
==========
==========
When our first son was born in Goa, I had just landed after my day conv on IL-38s... 9 Oct 1991.....Self and Meena's Mamaji Rajendra Bakshi went to Panjim river side shack to celebrate with Fenny, Fish and chips.....The sky looked beautiful with its evening pinkish charm....And I named him Aakash, ....everyone liked it, .unique in those days...then Bollywood got a whiff of it, and Salman named himself Aakash in Saajan... the same yr it was released and became a superhit...My son hated this name, as he came First always from I std to college(albeit in all roll call registers)...He now has started looking for names starting with 'z'...doesn't wish to make a blunder that his Pop did by choosing a name starting with double A,...You know Guys, by the time a man realises that his father was right,..He has a son who says, 'Dad you are wrong'...LOL !! This brat is now a second Officer in SCI and completed his 9 months stint in 'SS DISHA' a VLGC (Very Large Gas Carrier).....Presently he is undergoing Chief mates courses in MMTI...A selfie forwarded by him to his Mom Meena Bakhshi Dutt during his sailing(below).
Very nice poem about sons. Always read about daughters but this touched my heart...dedicated to all parents whose sons have left them for greener pastures and are being missed by them....kya khoob likha hai kisi ne...
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
अपनी जान से ज़्यादा प्यारा desk top छोड़ कर
अलमारी के ऊपर धूल खाता गिटार छोड़ कर
Gym के dumbles, और बाकी gadgets
मेज़ पर बेतरतीब पड़ी worksheets, pens और pencils बिखेर कर
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
अलमारी के ऊपर धूल खाता गिटार छोड़ कर
Gym के dumbles, और बाकी gadgets
मेज़ पर बेतरतीब पड़ी worksheets, pens और pencils बिखेर कर
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
मुझे ये colour /style पसंद नहीं
कह कर brand new शर्ट अलमारी में छोड़ कर
Graduation ceremony का सूट, जस का तस
पुराने मोज़े, बनियान , रूमाल, (ये भी कोई सहेज़ के रखने वाली चीज़ है )
सब बेकार हम समेटे हैं, उनको परवाह नहीं
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
कह कर brand new शर्ट अलमारी में छोड़ कर
Graduation ceremony का सूट, जस का तस
पुराने मोज़े, बनियान , रूमाल, (ये भी कोई सहेज़ के रखने वाली चीज़ है )
सब बेकार हम समेटे हैं, उनको परवाह नहीं
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
जिस तकिये के बिना नींद नहीं आती थी
वो अब कहीं भी सो जाते हैं
खाने में नखरे दिखाने वाले अब कुछ भी खा कर रह जाते हैं
अपने room के बारे में इतनेpossessive होने वाले
अब रूम share करने से नहीं हिचकिचाते
अपने career बनाने की ख्वाहिश में
बेटे भी माँ बाप से बिछड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
वो अब कहीं भी सो जाते हैं
खाने में नखरे दिखाने वाले अब कुछ भी खा कर रह जाते हैं
अपने room के बारे में इतनेpossessive होने वाले
अब रूम share करने से नहीं हिचकिचाते
अपने career बनाने की ख्वाहिश में
बेटे भी माँ बाप से बिछड़ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में खो जाते हैं
घर को मिस करते हैं, पर कहते नहीं
माँ बाप को 'ठीक हूँ 'कह कर झूठा दिलासा दिलाते हैं
जो हर चीज़ की ख्वाहिशमंद होते थे
अब 'कुछ नहीं चाहिए' की रट लगाये रहते हैं
जल्द से जल्द कमाऊ पूत बन जाने की हसरत में
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
माँ बाप को 'ठीक हूँ 'कह कर झूठा दिलासा दिलाते हैं
जो हर चीज़ की ख्वाहिशमंद होते थे
अब 'कुछ नहीं चाहिए' की रट लगाये रहते हैं
जल्द से जल्द कमाऊ पूत बन जाने की हसरत में
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
हमें पता है,
वोअब वापस नहीं आएंगे, आएंगे तो छुट्टी मनाने
उनके करियर की उड़ान उन्हें दूर कहीं ले जाएगी
फिर भी हम रोज़ उनका कमरा साफ़ करते हैं
दीवारों पर चिपके पोस्टर निहारते हैं
संजोते हैं यादों में उन पलों को,
जब वो नज़दीक थे, परेशान करते थे
अब चाह कर भी वो परेशानी नसीब में नहीं
क्योंकि
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
वोअब वापस नहीं आएंगे, आएंगे तो छुट्टी मनाने
उनके करियर की उड़ान उन्हें दूर कहीं ले जाएगी
फिर भी हम रोज़ उनका कमरा साफ़ करते हैं
दीवारों पर चिपके पोस्टर निहारते हैं
संजोते हैं यादों में उन पलों को,
जब वो नज़दीक थे, परेशान करते थे
अब चाह कर भी वो परेशानी नसीब में नहीं
क्योंकि
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं
दुनियां की भीड़ में खो जाते हैं
2nd Officer Aakash Dutta
20 Yrs Ago Aakash in a Naval Uniform
Jiving in Upper KG, BDS Baroda
Appreciate
ReplyDelete